ब्रिज के अभाव में न जाने कितनी मोते हो चुकी है इस हाइवे पर

ब्रिज के अभाव में न जाने कितनी मोते हो चुकी है इस हाइवे पर

अंडर ब्रिज बने या ओवर ब्रिज दोनों में राजी नगर की जनता

रोजाना हजारो की संख्या में हाइवे पार करती है आम जनता

स्कूली बच्चों के लिए भी खतरनाक है ये हाइवे

सिर्फ पदों पर बैठने से काम नही चलेगा,नगर हित मे काम करो सर आंखों पर बिठाएगी जनता

मल्हारगढ (गोपाल मालेचा) मल्हारगढ नगर की उपलब्धियों को गिनाए तो शब्द भी कम पड़ जायेगे । क्षेत्र से विधायक प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने नगर मे इतनी उपलब्धिया दी है कि राशि को उंगलियों पर नही गिना जा सकता । इन सब के बीच मल्हारगढ नगर को दो भागों में विभाजित करने वाला हाइवे नगर के बीच से निकलता है । जहाँ आये दिन हादसे होते रहते है न जाने कितने कुल के दीपक को इस हाइवे ने बुझा दिया । नगर की जनता ने न जाने कितनी मौतों को यहाँ देखा है । बीती रात भी नगर के समाजसेवी जिन्होंने व्यापारिक दृष्टि से अपनी अलग पहचान बनाई थी वो भी इस हाइवे पर हादसे का शिकार हो गए और अपनी जान गवानी पड़ी । आज इस हादसे न एक परिवार को सदस्य को निगल लिया । इस नगर को दो भागों में अलग करने वाले हाइवे पर ब्रिज की कितनी अधिक आवश्यकता है ये आम व्यक्ति ही जानता है । इस हाइवे को पार करना किसी जोखिम से कम नही है । हाइवे को पार करना ऐसा लगता है जंग जीत ली हो ।

किसानों के खेत हाइवे पार- नगर में किसानों की संख्या का आंकलन लगाया जाए तो करीब 45 प्रतिशत किसानों के खेत हाइवे पार है जहाँ जाने के लिए किसानी साधनों से साथ पशुओं को भी सुबह शाम उस पार ले जाना व लाना पड़ता है जहाँ हादसे का खतरा बना रहता हूं । कई बार किसानों के साथ पशु भी दुर्घटना का शिकार हुए है ।

स्कूलों का इधर-उधर होना- नगर में कई बड़े बड़े विद्यालय संचालित है इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों कि संख्या हजारो में है । जिनमे आधे बच्चे इधर तो आधे बच्चे उधर के स्कूलों में पढ़ते है । जहाँ बच्चों को भी हाइवे को पार करना पड़ता है । स्कूलों की छुट्टियों के समय कई बच्चे हाइवे के किनारे ओर बीच हाइवे पर देखे जा सकते । छुट्टी के समय स्कूलों के वाहनों को हाइवे पार कराने के लिए चौराहे पर तीन पुलिस जवानों को व्यवस्था में लगाना पड़ता है । तब जाकर कही व्यवस्था बन पाती है । लगता है शासन में बैठे जनप्रतिनिधि भी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है ।

व्यापारिक दृष्टि से आवागमन बना रहता है – नगर में सेकड़ो दुकानों का संचालन होता है कई दुकानदारों के मकान हाइवे पार है किसी के इस तरफ तो किसी के उस तरफ । कई दुकानदारों के गौदाम भी इधर-उधर बने है । अब हाइवे पर हादसे न होंगे तो क्या होगा । ऐसे ही बीती रात एक व्यापारी समाजसेवी कचरमल जी पोरवाल हादसे का शिकार हो गए । एक परिवार के सदस्य चला गया । आज ब्रिज बना होता तो कचरमल जी पोरवाल हमारे बीच मे होते ।

ब्रिज बनने से क्या फायदे होंगे- शासन चाहे अंडर ब्रिज बनाये या ओवर ब्रिज हाइवे पर हो रहे हादसो में 90 प्रतिशत गिरावट आएगी । आने-जाने में सभी को सुविधा मिलेगी । अब इसके लिए पहल करें कोन तो जो जनप्रतिनिधियो को आम जनता ने चुनकर भेजा है वो अपनी जिम्मेदारी समझे और इस ओर ध्यान दे ।

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