चातुर्मास पूर्ण होने पर नगर में गूंजे ‘मंगल हो’ के स्वर, विदाई में छलक उठीं आंखें

आलोट। नगर में विराजमान पूज्य साध्वी श्री अर्हता श्रीजी म.सा., पू.सा. श्री मैत्रीपूर्णा श्रीजी म.सा., पू.सा. श्री रयणपूर्णा श्रीजी म.सा. एवं पू.सा. श्री सिद्धपूर्णा श्रीजी म.सा. सहित साध्वी मंडल का चातुर्मास पूर्ण होने पर शुक्रवार प्रातः तपागच्छ उपाश्रय से मंगल विहार हुआ। विहार आरंभ से पूर्व चंद्रप्रभु मंदिर में चेय्यावंदन कर साध्वी श्रीजी मंडल ने पुणे के लिए विहार किया।

लगभग 74 दिनों की इस पवित्र यात्रा में साध्वी श्रीजी मंडल लगभग 800 किलोमीटर की दूरी तय करेंगी। प्रातःकालीन बेला में साध्वी अर्हता श्रीजी ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि चातुर्मास आत्मशोधन, तप और संयम का पर्व है, इसका समापन आत्मजागरण का संदेश देता है।”

विहार प्रारंभ होते ही श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। चार माह तक साध्वी श्रीजी से प्राप्त प्रेरणा, उपदेश और आध्यात्मिक सान्निध्य को स्मरण करते हुए उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं का मन भावुक हो उठा। समाज के पदाधिकारी, महिला मंडल, युवक मंडल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

आलोट की मधुर स्मृतियां सदा हृदय में रहेंगी, सबका आशीर्वाद और स्नेह साथ लेकर हम आगे बढ़ते हैं” — इन भावपूर्ण शब्दों के साथ साध्वी मंडल ने आलोट से पुणे की ओर मंगल विहार किया।