आचार्य अभयसागर सूरी की 37वीं पुण्यतिथि पर उन्हेंल नागेश्वर में भव्य गुणानुवाद सभा 13 को
आलोट-राजस्थान सीमा स्थित तीर्थ पर आचार्य अशोकसागर सूरीश्वर म.सा. सहित संघ का मंगल प्रवेश, पेढ़ी सचिव धर्मचंद जैन के नेतृत्व में तैयारियाँ अंतिम चरण में
आलोट। मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर स्थित विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ उन्हेंल नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में जैन समाज द्वारा आचार्य अभयसागर सूरीश्वर म.सा. की 37वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 13 नवम्बर, गुरुवार को भव्य गुणानुवाद सभा का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर तीर्थ परिसर में श्रद्धा और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।
कार्यक्रम के अंतर्गत आचार्य अशोकसागर सूरीश्वर म.सा., आचार्य सागरसागर सूरीश्वर म.सा., आचार्य सौम्यसागर सूरीश्वर म.सा. सहित साधु-साध्वी मंडल का मंगल प्रवेश होगा। उनके स्वागत में नगर व आसपास के क्षेत्रों से समाजजन बड़ी संख्या में शामिल होंगे। ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजों, कलश यात्रा और पुष्पवर्षा के साथ आचार्य म.सा. का भव्य स्वागत किया जाएगा।
गुरुदेव की पुण्यतिथि पर आयोजित गुणानुवाद सभा में समाजजन गुरु भगवंतों के जीवन, तप, त्याग और धर्मप्रभावना से जुड़ी प्रेरक घटनाओं का श्रवण करेंगे। श्रद्धालुओं के लिए विशेष निश्रा एवं आशीर्वचन का आयोजन रहेगा।
इस अवसर पर उन्हेंल नागेश्वर जैन मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया जाएगा — जहाँ रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों की झालरों और दीपमालाओं से मंदिर का हर हिस्सा जगमगाएगा। मंदिर परिसर में भक्ति संगीत, प्रवचन एवं धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला भी आयोजित की जाएगी।
पेढ़ी सचिव धर्मचंद जैन ने बताया कि गुरु परंपरा की पुण्य स्मृति में आयोजित यह कार्यक्रम समाज के लिए अत्यंत पावन, प्रेरणादायी और ऐतिहासिक क्षण साबित होगा। उन्होंने बताया कि आयोजन को लेकर सभी तैयारियाँ लगभग पूर्ण हैं — तीर्थ क्षेत्र को साफ-सुथरा कर सजाया गया है, श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु व्यवस्था की गई है और भक्ति वातावरण बनाने के लिए समिति के सदस्य लगातार सक्रिय हैं।
आलोट, मंदसौर, रतलाम, झालावाड़, कोटा सहित आसपास के जिलों से सैकड़ों श्रद्धालुओं के इस अवसर पर उन्हेंल नागेश्वर तीर्थ पहुँचने की संभावना है। समाजजनों में इस अवसर को लेकर अत्यधिक उत्साह और श्रद्धा का वातावरण है।
जैन समाज के वरिष्ठजनों ने बताया कि यह आयोजन केवल पुण्यतिथि नहीं, बल्कि गुरु भक्ति, साधना और आत्मजागृति का पर्व है, जो समाज में आध्यात्मिक ऊर्जा और एकता का संदेश देगा।
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