<p><strong>आधुनिक खेती से 50 लोगों को दे रहे रोजगार, किसानों के बने प्रेरणा स्रोत</strong></p><p><strong>मंदसौर </strong>/ मंदसौर जिले के ग्राम जवासिया के किसान यशवंत पाटीदार आज क्षेत्र के प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। एक समय वे परंपरागत खेती करते थे, जिससे उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था। बार-बार के नुकसान से निराश होकर उन्होंने अपनी खेती का रुख बागवानी मिशन की ओर मोड़ा। यहीं से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत हुई।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:2560/1706;" src="../admin/uploads/6919f822989d6_1001316274.jpg" width="2560" height="1706"></figure><p>उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन और राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी मिशन के सहयोग से उन्होंने अपने 15 बीघा खेत में 1500 संतरे के पौधे लगाए। विभाग की सहायता से उन्हें ड्रिप इरिगेशन प्रणाली, जीर्णोद्धार योजना, दवाइयाँ, पंप, कैची, एवं अन्य आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए गए। इससे सिंचाई में पानी की बचत होने के साथ-साथ उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:2560/1706;" src="../admin/uploads/6919f82f70498_1001316270.jpg" width="2560" height="1706"></figure><p>आज यशवंत पाटीदार के खेत से वर्ष में दो बार संतरे की फसल प्राप्त होती है। उन्हें सालाना लगभग 800 से 900 क्विंटल संतरे का उत्पादन होता है, जिसे वे 8 से 52 रुपए प्रति किलो के भाव में बेचते हैं। उनके संतरे की गुणवत्ता और मिठास के कारण महाराष्ट्र, शाजापुर, बड़ोद, मंदसौर, कोलकाता और दिल्ली तक के व्यापारी स्वयं उनके खेत पर आकर खरीदारी करते हैं।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:3840/2160;" src="../admin/uploads/6919f83d97811_1001316275.jpg" width="3840" height="2160"></figure><p>बागवानी की इस नई दिशा ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि अब वे हर वर्ष 10 से 15 लाख रुपए की आय अर्जित कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने बगीचे में लगभग 50 लोगों को रोजगार भी प्रदान किया है।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:2560/1706;" src="../admin/uploads/6919f8467da22_1001316276.jpg" width="2560" height="1706"></figure><p>यशवंत पाटीदार का कहना है, बागवानी मिशन ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी। आज मैं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उद्यानिकी विभाग का आभारी हूँ, जिन्होंने हमें आधुनिक खेती के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:3840/2160;" src="../admin/uploads/6919f8617a1c0_1001316272.jpg" width="3840" height="2160"></figure><p>उनकी यह सफलता यह साबित करती है कि यदि किसान नई तकनीक और योजनाओं को अपनाएँ, तो खेती केवल आजीविका नहीं बल्कि समृद्धि का साधन बन सकती है।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:4096/3072;" src="../admin/uploads/6919f86c97351_1001316271.jpg" width="4096" height="3072"></figure>