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चेक अनादरण प्रकरण में सत्र न्यायालय का आदेश — 30 दिवस में प्रतिकर अदा नहीं किया तो होगी एक वर्ष की सश्रम सजा
<p>आलोट/ दुर्गाशंकर पहाड़िया/ न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सुश्री मधुबाला सोलंकी द्वारा पारित चेक बाउंस प्रकरण (95/2019) में दिनांक 19 अप्रैल 2023 को दिए गए निर्णय के विरुद्ध दायर अपील पर जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. आरिफ पटेल ने सोमवार को अपना आदेश सुनाया।</p><p>मूल निर्णय में जमुना कोदर सिंह मइड़ा, निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी आलोट को एन.आई. एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत दोषी पाते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास तथा चार लाख रुपये की चेक राशि पर निर्णय दिनांक तक 9 प्रतिशत ब्याज सहित कुल 6 लाख 16 हजार रुपये परिवादी राहुल जैन को अदा करने का दंड दिया गया था।</p><p>अभियुक्त द्वारा इस आदेश के विरुद्ध धारा 374 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अपील क्रमांक 21/2023 प्रस्तुत की गई थी। अपील पर विचार करते हुए सत्र न्यायालय ने प्रतिकर राशि और ब्याज को यथावत रखते हुए आदेशित किया कि अभियुक्त 30 दिवस के भीतर चार लाख रुपये एवं अंतिम चेक की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित संपूर्ण राशि परिवादी को अदा करे।</p><p>न्यायालय ने प्रतिकर अदायगी में विलंब अथवा उल्लंघन की स्थिति में अतिरिक्त 6 माह के सश्रम कारावास की पुष्टि की है। साथ ही स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित अवधि में प्रतिकर जमा नहीं किया जाता है तो विचारण न्यायालय द्वारा दी गई एक वर्ष की सश्रम कारावास की सजा भी लागू होगी।</p><p>निर्णय के समय अपीलार्थी न्यायालय में अनुपस्थित थी, जिसके चलते न्यायालय उठने तक की सजा भुगतने का आदेश भी पारित किया गया। विचारण न्यायालय को निर्देश दिए गए हैं कि अवधि पूर्ण होने पर प्रतिकर न जमा होने की स्थिति में आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित कर दंडादेश के क्रियान्वयन की कार्यवाही की जाए।</p><p>प्रकरण में परिवादी राहुल जैन की ओर से अधिवक्ता शिवनारायण सोलंकी द्वारा पैरवी की गई।</p>
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