<p>आलोट/दुर्गाशंकर पहाड़िया/ &nbsp;पी.एम. श्री जवाहर नवोदय विद्यालय आलोट में मंगलवार को आयोजित साइबर सुरक्षा जागरूकता सत्र ने विद्यार्थियों के मन में डिजिटल जोखिमों को लेकर नई समझ और सतर्कता की मजबूत नींव रखी। कार्यक्रम की अगुवाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विवेक कुमार, एसडीओपी पल्लवी गौर और थाना प्रभारी मुनेंद्र गौतम ने की। तीनों अधिकारियों ने जिस स्पष्टता और जिम्मेदारी के साथ साइबर अपराधों की परतें खोलीं, वह एक अनुकरणीय पुलिस-विद्यालय साझेदारी का प्रभावशाली उदाहरण बन गया।</p><p>अधिकारियों ने विद्यार्थियों को बताया कि आज के दौर में ऑनलाइन खतरे उतने ही वास्तविक हैं, जितने मैदान में होने वाले अपराध। अनजान लिंक, फर्जी प्रोफाइल, संदिग्ध संदेश, QR कोड स्कैन, OTP साझा करना—ये सभी साइबर ठगी के सबसे आसान माध्यम हैं। उन्होंने बच्चों को चेताया कि डिजिटल दुनिया में जिज्ञासा अच्छी है, पर लापरवाही खतरनाक। किसी भी संदिग्ध लिंक, कॉल या मैसेज की जानकारी तुरंत स्कूल अथवा पुलिस को देने की सलाह दी गई।</p><p>सत्र में ऑपरेशन मुस्कान पर भी विस्तृत जानकारी दी गई, जो मध्यप्रदेश पुलिस का मानवीय और महत्वपूर्ण अभियान है। अधिकारियों ने बताया कि गुमशुदा या भटके हुए बच्चों को सुरक्षित वापस परिवार तक पहुंचाना सिर्फ पुलिस का दायित्व नहीं, समाज की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। विद्यार्थियों को यह संदेश देकर एक महत्वपूर्ण सामाजिक चेतना का संचार किया गया।</p><p>सत्र के दौरान विद्यार्थियों ने कई व्यावहारिक सवाल पूछे—फर्जी सोशल मीडिया आईडी की पहचान कैसे करें, ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड से कैसे बचें, बैंकिंग फ्रॉड की रिपोर्ट कहां करें—और अधिकारियों ने हर प्रश्न का सरल, उपयोगी और धारदार जवाब दिया। यह संवाद विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला साबित हुआ।</p><p>विद्यालय प्रबंधन ने पुलिस अधिकारियों के इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि डिजिटल युग में ऐसे कार्यक्रम बच्चों को सिर्फ जागरूक ही नहीं बनाते, बल्कि उन्हें जिम्मेदार डिजिटल नागरिक भी तैयार करते हैं। सत्र का प्रभाव इतना गहरा रहा कि इसे विद्यालय की वार्षिक गतिविधियों में स्थाई रूप से शामिल करने की बात भी सामने आई।</p><p>यह कार्यक्रम न केवल जागरूकता का एक साधारण आयोजन था, बल्कि समाज और विद्यालय के साझा दायित्व का एक उत्कृष्ट, पुरस्कार योग्य उदाहरण भी—जो बताता है कि सुरक्षा सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता की सम्मिलित शक्ति से ही संभव होती है।</p>