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अष्टापद जैन तीर्थ पर छः-री पालित पैदल संघ की पत्रिका लेखन विधिवत संपन्न
<p><strong>आलोट/दुर्गाशंकर पहाड़िया</strong>। अष्टापद जैन तीर्थ से 7 दिसंबर को अष्टापदम से सिद्धचलम–पालीताना के लिए प्रस्थान करने वाले छः-री पलीत पैदल संघ की पत्रिका लेखन की मंगल विधि रविवार को आचार्य श्री जिन पियूष सागर सूरीश्वरजी के शिष्य सम्यक रत्न सागर, संवेग रत्न सागर तथा अष्टापद तीर्थ प्रेरिका श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्रीजी आदि ठाणा की निश्रा में सम्पन्न हुई। मुख्य संघपति एवं विभिन्न संघपतियों की उपस्थित में श्री वर्तमान जैन सुकरत ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से संघपति एवं उनके परिवार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।</p><p>धर्मसभा को संबोधित करते हुए संवेग रत्न सागर जी महाराज ने कहा कि “परमात्मा की आज्ञा सर्वोपरि रहती है, उसी से जीवन में हर कार्य संभव होता है।” उन्होंने मनुष्य जीवन में आंख और दृष्टि दोनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दृष्टि ही विचारों को परखकर सही मार्ग दिखाती है। यह पैदल संघ सभी के लिए सौभाग्य का फल है।</p><p>अष्टापद तीर्थ प्रेरिका श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्रीजी ने कहा कि “जो सीधा और सरल होकर चलता है वही सिद्ध मार्ग पर अग्रसर होता है। सिद्धचल पहुंचना आत्मा के अनंत कल्याण का मार्ग है, जहां मोक्ष प्राप्त आत्माओं की भक्ति करने का सौभाग्य मिलता है।”</p><p>इस अवसर पर संवेग रत्न सागर जी महाराज ने दीक्षा-प्रार्थी पूर्वी डोसी को दीक्षा का मुहूर्त प्रदान किया। पूर्वी डोसी ने कहा कि “श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्रीजी के आशीर्वाद और स्नेह से संयम मार्ग का यह अवसर प्राप्त हुआ है।”</p><p>ट्रस्ट सचिव रविंद्र श्रीमाल एवं कोषाध्यक्ष मनीष कोचर ने बताया कि 41 दिवसीय पैदल संघ के मुख्य लाभार्थियों में प्रमुख रूप से भूपेंद्र कुमार–महेंद्र जी, शैलेंद्र जी चिपड (प्रतापगढ़), जयंतीलाल जसुमति दख (जावरा), गंभीर–राजेश संचेती परिवार (सिवनी), आदरकुमार भंसाली (जोधपुर), रमेशचंद्र कोठारी परिवार (अमलनेर-मुंबई), रिंगनोद श्रीमाल परिवार, इंदौर के संजय गांग, जयपुर का चत्तर परिवार सहित कई स्वर्ण, रजत एवं विभिन्न संघपति परिवार सम्मिलित हैं।</p><p>कार्यक्रम में जयंतीलाल दख, आजाद सिंह ददडा, राजमल धारीवाल, डॉ. सुरेश मेहता, नितेश बांठिया, सरदारमल चोरडिया, महेंद्र चोपड़ा सहित अनेक पदाधिकारी एवं विभिन्न संघों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।</p>
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