<p><strong>“तीन दिन से चक्कर लगा रहे हैं, सुनवाई तब होती है जब सड़कों पर उतरें” — किसानों का आरोप</strong></p><p>आलोट। खाद की कमी से परेशान किसानों का गुस्सा गुरुवार को फूट पड़ा और किसानों ने सुबह लगभग 11 बजे अगर-जावरा ताल रोड पर चक्काजाम कर दिया। अचानक हुए विरोध प्रदर्शन से सड़क पर हंगामे जैसी स्थिति बन गई और आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। सूचना मिलते ही पुलिस बल मौके पर पहुंचा, साथ ही तहसीलदार पंकज परवैया एवं आलोट कृषि विस्तार अधिकारी भी पहुंचे और स्थिति नियंत्रित करने का प्रयास किया।</p><figure class="image"><img src="../admin/uploads/692867b769988_1004668145.jpg"></figure><p>अधिकारियों की मौजूदगी के बाद भी किसानों का आक्रोश शांत नहीं हुआ। किसानों ने आरोप लगाया कि खाद वितरण केंद्रों पर अव्यवस्था चरम पर है। जिला प्रशासन और कृषि विभाग खाद की पर्याप्त उपलब्धता का दावा कर रहे हैं, जबकि जमीन पर स्थिति बिल्कुल अलग है। किसानों का कहना है कि कई दिनों से खाद केंद्रों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन निराश होकर लौटना पड़ रहा है।</p><p>किसानों ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में टोकन आधारित खाद वितरण प्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि टोकन के नाम पर किसानों को भ्रमित किया जा रहा है। केंद्रों पर पहुंचने पर अकसर वितरण बंद होने की बात कह दी जाती है, जबकि प्रशासन केवल कागजों में व्यवस्था दिखा रहा है।</p><p><strong>एक किसान ने रोष व्यक्त करते हुए कहा —</strong><br>तीन-तीन दिन से खाद के लिए केंद्रों के चक्कर लगा रहे हैं। टोकन बनवाने के बाद भी जब पहुंचते हैं तो कहा जाता है कि आज वितरण नहीं है। आखिर किसान कब तक अपमान झेलता रहे? मजबूरी में सड़क पर उतरना पड़ा।</p><p><strong>उन्होंने कहा —</strong><br>जब शांति से जाकर मांग करते हैं तो कोई सुनवाई नहीं। लेकिन जैसे ही हंगामा करते हैं, हाथोहाथ खाद बांटी जाती है। क्या किसान सड़क पर बैठने के लिए ही रह गया? हम अन्नदाता हैं, भीख मांगने नहीं आते।</p><p>ताल रोड स्थित खाद गोदाम पर हंगामा बढ़ने के बाद अधिकारियों ने किसानों को साथ लेकर गोदाम पहुंचकर तत्काल खाद का वितरण प्रारंभ कराया। इस पर भी किसानों ने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि वितरण व्यवस्था सही है तो फिर विरोध की नौबत क्यों आती है।</p><p>किसानों ने कहा कि खाद वितरण की अव्यवस्था हर वर्ष दोहराई जाती है, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।</p><p><strong>किसानों की पीड़ा स्पष्ट है — </strong>मेहनत से बोई फसल का भविष्य खाद पर निर्भर है और परेशान किसान अपने अधिकार की मांग लेकर सड़कों पर उतरने को मजबूर हो रहे हैं।</p>