<p><strong>मंदसौर</strong> / अंतराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर आज भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर के आराधना हॉल में गीता जयंती महोत्सव का आयोजन अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक गौरव के साथ संपन्न हुआ।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:4080/2296;" src="../admin/uploads/692dd59d29a38_1001392080.jpg" width="4080" height="2296"></figure><p>&nbsp;कार्यक्रम में सांसद श्री सुधीर गुप्ता, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा विजय पाटीदार, पूर्व विधायक श्री यशपाल सिंह सिसोदिया, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रमादेवी बंशीलाल गुर्जर, नगर पालिका उपाध्यक्ष श्रीमती नम्रता प्रितेश चावला, जिला पंचायत सीईओ श्री अनुकूल जैन, जिलाधिकारी सहित बड़ी संख्या में नागरिक और विद्यालयों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:2560/1440;" src="../admin/uploads/692dd5a7c1ea0_1001392092.jpg" width="2560" height="1440"></figure><p>कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। शंखध्वनि और स्वस्तिवाचन के पावन वातावरण में अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके पश्चात सामूहिक गीता पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने श्रद्धा भाव से सहभागिता की।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:2560/1440;" src="../admin/uploads/692dd5b1c2f8d_1001392123.jpg" width="2560" height="1440"></figure><p>अपने उद्बोधन में सांसद श्री सुधीर गुप्ता ने कहा कि "गीता किसी एक धर्म का ग्रंथ नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए जीवन का मार्गदर्शन है।" गीता कर्म को प्रधानता देती है और हमें परिणाम की चिंता किए बिना कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ केवल परंपराओं से नहीं, बल्कि कर्तव्यनिष्ठा और जीवन में धैर्य, साहस व सत्य के पालन से है। अर्जुन को मोह से बाहर निकालकर कर्तव्य का बोध कराने वाली गीता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।&nbsp;</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:2560/1440;" src="../admin/uploads/692dd5c472c40_1001392122.jpg" width="2560" height="1440"></figure><p>जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा विजय पाटीदार, पूर्व विधायक श्री यशपाल सिंह सिसोदिया, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रामादेवी गुर्जर तथा नोडल अधिकारी व पीजी कॉलेज प्राचार्य श्री जे.एस. दुबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी ने गीता को जीवन का सार बताते हुए इसे आत्म-विकास, चरित्र निर्माण और मानव कल्याण की आधारशिला बताया।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:4080/2296;" src="../admin/uploads/692dd5d11e3e2_1001392098.jpg" width="4080" height="2296"></figure><p>वक्ता गणों ने कहा कि गीता का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को कर्तव्य, सत्य, साहस, आत्मबल तथा विवेकयुक्त निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना है। विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों और सांस्कृतिक चेतना का विकास गीता अध्ययन से स्वाभाविक रूप से होता है।</p><figure class="image"><img style="aspect-ratio:4080/2296;" src="../admin/uploads/692dd5e4e0700_1001392097.jpg" width="4080" height="2296"></figure><p>भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिए गए उपदेश आज भी जीवन की कठिन परिस्थितियों में मार्गदर्शन देने वाले सिद्धांत हैं। महर्षि सांदीपनि द्वारा प्रदत्त ज्ञान और श्रीकृष्ण के कर्मयोग ने उन्हें जगतगुरु बनाया। वक्ताओं ने कहा कि भगवद्गीता मानव जीवन की समस्याओं का समाधान देती है और हमें ईश्वर स्मरण के साथ अपने कर्मों को निरंतर करते रहने की प्रेरणा देती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जे.के. जैन द्वारा किया गया।</p><figure class="image"><img></figure>