मंदसौर से यह ख़बर बड़ी रोचक और संवेदनशील हे जिसमें रोज़ाना जान जोख़िम में डाल कर शिक्षा हासिल करने जा रही बेटियों ने पहली बार स्वराज एक्सप्रेस के माध्यम से प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव से गुहार लगाई हे। इस एक्सक्लूसिव खबर में बेटियां पढ़ना भी चाह रही हे बचना भी चाह रही हे। तो आइए देखते मंदसौर की बेटियों की पुकार, जिस पुकार में सीएम डॉ मोहन यादव से गुहार छिपी हुई हे ।
मंदसौर ओर नीमच जिले से गुजरने वाली चंबल नदी से आप सभी मुखातिब तो होंगे हीं , चंबल नदी का जिक्र सुनते ही हम सभी के ज़हन में डर ओर खौफ के कई किस्से उतर जाते है।
जिसको नांव से पार करने में साधारण यात्री सही सलामत पार करने में भी डरते हे। चंबल को पार करने में कई तरह का डर यात्रियों के मन में आया हे जैसे नदी में अनगिनत मगर होने का डर..।
ऐसे कई डरो को मन में दबाए स्कूली छात्र छात्राएं रोजाना इस नदी को पार करके स्कूल आते हे । छात्र छात्राओं के स्कूल जाने से लेकर घर लौट आने तक उनके माता पिता की सांस अटकी रहती हे।
जान जोखिम में डालकर पढ़ने आ रही बेटियों ने सीधे तौर पर स्वराज एक्सप्रेस के माध्यम प्रदेश के मुखिया से गुहार लगाई हे ।
लगभग 3 किलो मीटर चौड़ी नदी को प्रतिदिन यह छात्र छात्राएं पार करती हे, कई बार नाव में ईंधन खत्म हो जाता हे का ही बहाव तेज हो जाता हे ऐसे में कई बार नाम संचालक इन्हें किसी किनारे पर तो छोड़ जाता हे पर वहां से स्कूल या घर कई किलोमीटर दूर होता हे । जिसे कच्चे खेतों के रास्ते से मुश्किल से पार करते हे।
आज AI के युग में हमारा पड़ोसी मुल्क चाइना स्कूली बच्चों को टेक्नोलॉजी के बढ़ते आयामों के साथ विकसित कर रहा हे । हम शिक्षा के क्षेत्र में अन्य मुल्कों से कैसे आगे बढ़ सकते हे इसी पर हमारा भविष्य तय होगा।
इस मामले की जानकारी जुटाने ओर सच्चाई का पता लगाने के लिए हमारे संवाददाता राजेश शर्मा द्वारा करी गई पड़ताल में एक ऐसा खुलासा हुआ हे जो आज तक के इसिहास में आपने न देखा होगा ना सुना होगा ।
आप ही बताइए क्या आपने बच्चों को स्कूल में एडमिशन कराने के साथ साथ कभी ऐसा कथन बाकायदा स्टांप पर नोटरी करा कर दिया हे। जिसमे बच्चों की अगर दुर्घटना में मौत भी हो जाए तो उसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की नहीं रहेगी ।
कितना अजीब लगता हे ना अपने बच्चों को स्कूल भेजने के साथ रोजाना उनके सकुशल लौट आने की उम्मीद करना, साथ ही स्कूल को यह लिख कर देना की मेरे बच्चों के साथ हुई दुर्घटना की जिम्मेदारी हमारी हे ।
ये सवाल खड़ा होता हे कि क्या शिक्षा हासिल करने की उम्मीद में जान भी दाव पर लगाना पड़ सकती हे..?
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का अभियान लाजमी तो लगता हे पर बेटियां पढ़ना तो चाहती हे पर जान जोखिम में डाल कर नहीं..?
आप तस्वीरों में साफ देख सकते की कैसे मंदसौर जिले के छोटी आंतरी गांव के बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर रोजाना बड़ी आंतरी गांव के सरकारी स्कूल में जाते हे । यहां के प्रिंसिपल का कहना हे कि हमने स्टांप लिखवा रखा हे वही बेटियों ने प्रदेश के मुखिया से गुहार लगाई हे, अब देखना यह हे कि क्या सच्चाई का साथ देने वाले प्रिंसिपल को लताड़ दिया जाएगा या बेटियों की गुहार पर अमल होगा मंदसौर से राजेश शर्मा की रिपोर्ट ।
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Category: Education