<p><strong>भवानीमंडी । ( जगदीश पोरवाल )</strong> नेत्रदान के प्रति आम आदमी की जागरूकता भवानीमंडी के साथ-साथ अब इससे सटे मध्यप्रदेश बोलिया कस्बे तक भी पहुंच गई है । मंदसौर जिले के बोलियां कस्बे मे जैन स्थानकवासी वरिष्ठ श्रावक मोहनलाल चौधरी के निधन के बाद परिवार ने स्वयं पहल करके चौधरी का नेत्रदान करवा कर एक प्रेरणास्पद पहल की है।यह बोलियां कस्बे का पहला नेत्रदान है ।<br>जैन स्थानकवासी श्री संघ अध्यक्ष सुरेश विजावत एवं व्यापारी प्रकाश भंडारी ने बताया कि बुधवार रात को 9 बजे बोलिया के अनाज व्यापारी मोहनलाल चौधरी का हृदयाघात के कारण निधन हो गया, &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; भवानीमंडी के नेत्रदान के कार्यों से पुरा परिवार प्रभावित था, शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान संयोजक कमलेश गुप्ता दलाल भवानीमंडी को सूचना दी गई, जिस पर शाइन इंडिया फाउंडेशन कोटा के डॉ कुलवंत गौड़ ने रात्रि 2 बजे ही ज्योति रथ से बोलिया पहुंचकर नेत्रदान प्राप्त किया।</p><p><strong>कड़ाके की ठंड में कोटा से बोलिया करीब डेढ़ सौ किलोमीटर का सफर तय किया :- &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;&nbsp;</strong> &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp;&nbsp;</p><figure class="image"><img></figure><p>कमलेश गुप्ता द्वारा रात्रि 11:00 बजे कोटा के शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉक्टर कुलवंत गौड़ को सूचना दी गई , भरी सर्दी की रात में भी डॉक्टर गौड़ नेत्र संकलन वाहिनी ज्योति-रथ को स्वयं चलाते हुए कोटा से 150 किलोमीटर दूर बोलियां पहुंचे एवं नेत्रदान प्रक्रिया संपादित करके कोर्निया प्राप्त किया।&nbsp;<br>सर्दी होने के बाद भी देर रात्रि में बड़ी संख्या में परिवारजन और नगरवासी नेत्रदान के समय घर पर उपस्थित थे तथा उपस्थित सभी नगरवासियों और परिवारजनों के सामने नेत्रदान संपन्न हुआ,</p><p><strong>कस्बे के नागरिकों उत्साह पूर्वक देखा नेत्रदान की प्रक्रिया को:-</strong></p><p>बोलिया कस्बे में यह पहला नेत्रदान का मामला था और अधिकांश लोगों का नेत्रदान विषय से पहली बार परिचय हुआ है ऐसे में उपस्थित सभी लोगों ने नेत्रदान की प्रक्रिया को उत्सुकतापूर्वक अच्छी तरह से देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर विकृति नहीं आती है, इसमें केवल आंखों के ऊपर की झिल्ली जिसे कोर्निया कहा जाता है । इसमें पूरी आंख नहीं निकाली जाती है, यह रक्तहीन प्रक्रिया 10 मिनट में ही पूरी हो गई। नेत्रदान के पश्चात शाइन इंडिया फाउंडेशन के द्वारा परिवार को प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया।<br>शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड ने बताया कि मृतक मोहनलाल चौधरी का कॉर्निया अच्छा पाया गया है, इसे आई बैंक जयपुर भिजवा दिया गया है जहां यह दो नेत्रहीनों को नई रोशनी दे सकेगा।</p>